यह घटना एक ऐसी लड़की से जुड़ी है जिसे न मैंने कभी देखा और न ही कभी उसकी आवाज़ ही सुनी। लेकिन वह मेरे लिए अन्जानी नहीं है। कुछ साल पहले वह मुझे ढूंढ़ती हुई मेरे पास आई थी। पता नहीं किसने उसे मेरा ई-मेल पता दिया था। किसने उसे मेरे विषय में बताया था...मुझे नहीं मालूम। उस समय वह एक गंभीर समस्या लेकर मेरे पास आई थी। वह किसी लड़के से प्रेम करती थी और उससे शादी करना चाहती थी। लेकिन लड़का यह कह कर शादी से इनकार कर रहा था कि वह अपने घरवालों की इच्छा के विरुद्ध नहीं जा सकता। ज़ाहिर है वह किसी चमत्कार की उम्मीद लेकर ही आई थी। लेकिन चमत्कार अगर इनसान की इच्छा के अनुरुप होने लगे तो वह चमत्कार कैसा। उसने मुझसे अपनी समस्या बताई, तो मैंने सीधे शब्दों में कह दिया कि तुम्हारे प्रयास में कमी है। तुम अपने और उस लड़के के घरवालों से बात करो। मैं इसमें कुछ मदद नहीं कर सकता। उसने ऐसा कुछ नहीं किया होगा यह मैं जानता हूं। वह लगातार मुझसे एक ही बात करती। लेकिन मैं हर बार उसे एक ही जवाब देता- जिसे तुम्हारी फि़क्र नहीं तुम उसके लिए क्यों जान देती हो। मेरी बातों का उस पर कोई असर नहीं होता था। वह बस एक ही रट लगाए बैठी थी... मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है। एक दिन उसने बताया कि उस लड़के ने किसी दूसरी लड़की के साथ शादी कर ली। मैंने कहा कि वह तुम्हारे साथ कभी गंभीर रहा ही नहीं। अगर ऐसा होता तो वह कोई न कोई रास्ता ज़रूर निकालता। बहरहाल, लड़की का वही राग... मेरे साथ ही ऐसा क्यों?
कई बार समझाने के बावजूद जब उसका रोना-धोना जारी रहा तब मैंने उससे कहा- मेरी सलाह का तुम पर कोई असर नहीं है। तुम उस पर अमल ही नहीं करती तो व्यर्थ मेरा समय नष्ट मत किया करो। आखि़री बार तुम्हें आगे बढ़ने का रास्ता बता रहा हूं। इसके बाद दोबारा मेरे पास मत आना। वह माफ़ी मांगने लगी। कहने लगी- नाराज़ मत होइये सर। मुझे आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है। लेकिन मैं उसे भूल नहीं पा रही हूं। मैं आपको परेशान नहीं करूँगी। बस इसी बात पर मुझे उस पर दया आ जाती थी। किसी के बिछड़ने की पीड़ा बहुत कष्टदायी होती है। ख़ासकर जब उससे बेहद प्रेम हो, तब तो जीवन ही तहस-नहस हो जाता है। वह लड़की महीने-दो महीने पर एक बार ई-मेल जरूर करती थी। कभी मैं उसे अनदेखा कर देता, कभी बात कर लिया करता था।
लगभग एक साल बाद उसने एक बार फिर वही सवाल किया। इस बार उसने वादा किया कि वह आखि़री बार यह सवाल पूछ रही है। अगर मेरे जवाब से वह संतुष्ट हो गई तो दोबारा नहीं पूछेगी। साथ ही, उसने विश्वास जताया कि उसके सवालों के जवाब सिर्फ़ मेरे पास ही हैं। उसके भरोसे का आधार क्या था, यह मैं नहीं जानता। फिर भी मैंने उससे कहा- ठीक है। मुझे नहीं मालूम... इसका जवाब मैं तुम्हें कब दूंगा। जवाब ज़रूर मिलेगा, लेकिन इसमें वक़्त लगेगा। उसने कहा- ठीक है सर। मैं इंतज़ार करूंगी।
एक दिन की बात है। दिग्पाल के साथ मैं लोदी कॉलोनी गया था। वहां उसे कोई काम था। मैंने कहा- जब तक तुम्हारा काम नहीं हो जाता, मैं साई मंदिर में ही रहूंगा। गुरुवार का दिन था। मैं मंदिर में गया तो उस समय दोपहर की आरती हो रही थी। मैं उसमें शामिल हुआ। इसके बाद भजन गायकों की एक मंडली आई और भजन कार्यक्रम शुरू हो गया। मुझे बहुत अच्छा लगा रहा था। अचानक उस लड़की का ध्यान आया और मैंने सोचा कि थोड़ी देर ध्यान लगा लेता हूं। दिमाग़ बिल्कुल शांत हो चुका था। मन में कोई विचार नहीं था। इसलिए इतने शोर में भी बड़ी सहजता से ध्यान लग गया। मैं कितनी देर तक उस अवस्था में रहा यह नहीं बता सकता। कमर में हल्का दर्द शुरू हुआ तब ध्यान टूटा। जितनी देर ध्यान में बैठा, उसमें मैंने जो देखा वह उस लड़की के सवालों के ही जवाब थे। ऐसा लगा जैसे मैं कोई फिल्म देख रहा हूं। मुझे बहुत आश्चर्य हुआ। वैज्ञानिक दिमाग़ तुरन्त ही सवाल उठाने लगा... यह तो ख्याली खिचड़ी है। कोई किसी का अतीत कैसे देख सकता है? लेकिन जब हर सवाल का जवाब मिलता गया तब मैंने पाया कि यह ख्याली खिचड़ी दिमाग ने नहीं पकाई है, बल्कि किसी और दिशा से आई है।
ध्यान में मैंने जो कुछ देखा वह इस प्रकार था-
मैंने पानी का एक बड़ा सा स्रोत देखा जो किसी नदी या समुन्दर जैसा विशाल था। लेकिन यह पहाड़ पर था और वह इलाका शर्तिया तौर पर हिमाचल प्रदेश था। क्योंकि मुझे वहां से चंडीगढ़ काफ़ी नज़दीक लगा। उसके बाद एक जमीन का टुकड़ा देखा जो ऊंचाई पर तो था, लेकिन आसपास पहाड़ों से घिरा था। ज़मीन के तीन तरफ खाई थी। देखा एक नौजवान खेत में काम कर रहा है। थोड़ी देर बाद एक लड़की रोटी-सब्जी लेकर आई और उसे खाने के लिए दिया। लड़की को देखकर लगता था कि वह किसी सम्पन्न घर की है। लड़की थोड़ी सहमी और चौकन्नी सी लग रही थी। अचानक वहां एक व्यक्ति आया जिसकी उम्र लगभग 45 साल रही होगी। सफेद शर्ट और सफेद पैन्ट में था वह। कंधे पर गमछा या कुछ और था। उसने लड़की को खींच कर उस लड़के को जोर से मारा। उसे बहुत पीटा। लड़की के मुँह से विरोध का एक स्वर तक नहीं निकला। वह लड़की का हाथ पकड़ कर ले जाने लगा और लड़की ने भी विरोध नहीं किया। बस जाते समय वह पीछे खेत में पड़े उस लड़के को देखती रही।
गर्मी के दिन थे। बिजली भी नहीं थी। मैं छत पर बैठा हुआ था। तभी मन में ख्याल आया कि उस लड़की से कुछ पूछा जाए। अगर उसका जवाब ध्यान में दिखे दृश्य से थोड़ा सा भी मेल खाएगा तो मैं उसे बता दूंगा जो कुछ मैंने देखा। मैंने उससे जो सवाल पूछे वह इस प्रकार थे-
पहाड़ से तुम्हारा कोई रिश्ता है?
तुम्हारा घर हिमाचल प्रदेश में है?
तुम्हारे घर से थोड़ी दूर कोई बॉंध है?
वह कोई बड़ा सा डैम है?
जिस लड़के से प्रेम करती थी वह क्या समृद्ध है?
उसके मुकाबले तुम्हारी आर्थिक स्थिति अभ्ाी काफ़ी कमज़ोर होगी।
वह मैदानी इलाके कहा है, जहां खेत ही खेत हैं मतलब वह जगह पंजाब है।
लड़की का जवाब इस प्रकार था (शब्दों का हेरफेर संभव है, लेकिन मजमून यही था)-
- जी हॉं। हम पहले हिमाचल प्रदेश में ही रहते थे। लेकिन काफ़ी साल पहले दूसरी जगह चले आए। हमारा घर है वहॉं, लेकिन कम ही जाना होता है।
- हां सर। भाखड़ा डैम है। हम नंगल में रहते थे।
- वह अच्छे घर से है। उसके पास काफ़ी ज़मीन और धन सम्पत्ति है। मेरी स्थिति जैसा आपने कहा, बिल्कुल सही है। वह पंजाब में रहता है।
उसने पू्छा- आप यह सब क्यों पूछ रहे हैं?
- बताता हूं। मैंने कहा- तुम्हारे सवालों के जवाब मिल गए हैं। अब तुम विश्वास करो या न करो। लेकिन मेरे हिसाब से यह सही जवाब है।
- मुझे विश्वास है सर। आपसे सही जवाब ही मिलेगा। आपने मेरे बारे में इतना तो बता दिया। पहले भी बहुत कुछ बताया है।
मैंने कहा- देखो... कहानी कुछ इस तरह है। यह तुम्हारा दूसरा जन्म है। पहले जन्म में तुम एक सम्पन्न शख्स के यहां जन्मी थी जिसके पास काफ़ी ज़मीन थी। समाज में उसका रसूख था। तुम्हारे यहॉं एक नौकर था जो घर और खेत में काम करता था। तुम उससे प्रेम करती थी। लेकिन तुम्हारे पिता को यह बात पसंद नहीं थी। उन्होंने उस लड़के को एक बार बहुत मारा पीटा और अधमरा कर खेत में छोड़ दिया। तुम उसके लिए खेत में खाना लेकर गई थी। उसी समय तुम्हारे पिताजी वहां आ गए थे। जब तुम्हारे पिता उसे बेरहमी से पीट रहे थे तब तुमने उसके लिए हमदर्दी का एक शब्द तक मुँह से नहीं निकाला। वह तुमसे कहता रहा कि एक बार तुम कहो तो कि तुम क्या चाहती हो। फिर भी तुमने कुछ नहीं कहा।
इसका मतलब यह कि उस समय तुम अपने परिवार के खि़लाफ़ नहीं गई और उस लड़के को तड़पता और बिलखता छोड़ गई। इस जन्म में उस लड़के का बदला पूरा हो गया। अब वह तुमसे बहुत ज्यादा सम्पन्न है और तुम्ासे शादी के लिए कोई प्रयास नहीं किया। पिछले जन्म में वह तुम्हारे लिए पागल था। इस जन्म में तुम उसके लिए। इसलिए हिसाब बराबर। अब तुम्हें उसका ख़्याल छोड़कर आगे बढ़ना चाहिए। उसने कहा- अब कोई चारा भी नहीं है। उसके अधिकांश जवाब संक्षिप्त होते हैं, लेकिन मुझे उसकी मनोदशा का पता तुरंत लग जाता है। जब ज्यादा नकारात्मकता का आभास होता है तो मैं उसे जवाब ही नहीं देता। जब उसके सभ्ाी सवालों के जवाब उसे मिल गए तो उसने बात करना भी बहुत कम कर दिया। लंबे अंतराल पर कभी-कभी किसी अवसर पर संक्षिप्त ई-मेल करती है।
कई बार समझाने के बावजूद जब उसका रोना-धोना जारी रहा तब मैंने उससे कहा- मेरी सलाह का तुम पर कोई असर नहीं है। तुम उस पर अमल ही नहीं करती तो व्यर्थ मेरा समय नष्ट मत किया करो। आखि़री बार तुम्हें आगे बढ़ने का रास्ता बता रहा हूं। इसके बाद दोबारा मेरे पास मत आना। वह माफ़ी मांगने लगी। कहने लगी- नाराज़ मत होइये सर। मुझे आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है। लेकिन मैं उसे भूल नहीं पा रही हूं। मैं आपको परेशान नहीं करूँगी। बस इसी बात पर मुझे उस पर दया आ जाती थी। किसी के बिछड़ने की पीड़ा बहुत कष्टदायी होती है। ख़ासकर जब उससे बेहद प्रेम हो, तब तो जीवन ही तहस-नहस हो जाता है। वह लड़की महीने-दो महीने पर एक बार ई-मेल जरूर करती थी। कभी मैं उसे अनदेखा कर देता, कभी बात कर लिया करता था।
लगभग एक साल बाद उसने एक बार फिर वही सवाल किया। इस बार उसने वादा किया कि वह आखि़री बार यह सवाल पूछ रही है। अगर मेरे जवाब से वह संतुष्ट हो गई तो दोबारा नहीं पूछेगी। साथ ही, उसने विश्वास जताया कि उसके सवालों के जवाब सिर्फ़ मेरे पास ही हैं। उसके भरोसे का आधार क्या था, यह मैं नहीं जानता। फिर भी मैंने उससे कहा- ठीक है। मुझे नहीं मालूम... इसका जवाब मैं तुम्हें कब दूंगा। जवाब ज़रूर मिलेगा, लेकिन इसमें वक़्त लगेगा। उसने कहा- ठीक है सर। मैं इंतज़ार करूंगी।
एक दिन की बात है। दिग्पाल के साथ मैं लोदी कॉलोनी गया था। वहां उसे कोई काम था। मैंने कहा- जब तक तुम्हारा काम नहीं हो जाता, मैं साई मंदिर में ही रहूंगा। गुरुवार का दिन था। मैं मंदिर में गया तो उस समय दोपहर की आरती हो रही थी। मैं उसमें शामिल हुआ। इसके बाद भजन गायकों की एक मंडली आई और भजन कार्यक्रम शुरू हो गया। मुझे बहुत अच्छा लगा रहा था। अचानक उस लड़की का ध्यान आया और मैंने सोचा कि थोड़ी देर ध्यान लगा लेता हूं। दिमाग़ बिल्कुल शांत हो चुका था। मन में कोई विचार नहीं था। इसलिए इतने शोर में भी बड़ी सहजता से ध्यान लग गया। मैं कितनी देर तक उस अवस्था में रहा यह नहीं बता सकता। कमर में हल्का दर्द शुरू हुआ तब ध्यान टूटा। जितनी देर ध्यान में बैठा, उसमें मैंने जो देखा वह उस लड़की के सवालों के ही जवाब थे। ऐसा लगा जैसे मैं कोई फिल्म देख रहा हूं। मुझे बहुत आश्चर्य हुआ। वैज्ञानिक दिमाग़ तुरन्त ही सवाल उठाने लगा... यह तो ख्याली खिचड़ी है। कोई किसी का अतीत कैसे देख सकता है? लेकिन जब हर सवाल का जवाब मिलता गया तब मैंने पाया कि यह ख्याली खिचड़ी दिमाग ने नहीं पकाई है, बल्कि किसी और दिशा से आई है।
ध्यान में मैंने जो कुछ देखा वह इस प्रकार था-
मैंने पानी का एक बड़ा सा स्रोत देखा जो किसी नदी या समुन्दर जैसा विशाल था। लेकिन यह पहाड़ पर था और वह इलाका शर्तिया तौर पर हिमाचल प्रदेश था। क्योंकि मुझे वहां से चंडीगढ़ काफ़ी नज़दीक लगा। उसके बाद एक जमीन का टुकड़ा देखा जो ऊंचाई पर तो था, लेकिन आसपास पहाड़ों से घिरा था। ज़मीन के तीन तरफ खाई थी। देखा एक नौजवान खेत में काम कर रहा है। थोड़ी देर बाद एक लड़की रोटी-सब्जी लेकर आई और उसे खाने के लिए दिया। लड़की को देखकर लगता था कि वह किसी सम्पन्न घर की है। लड़की थोड़ी सहमी और चौकन्नी सी लग रही थी। अचानक वहां एक व्यक्ति आया जिसकी उम्र लगभग 45 साल रही होगी। सफेद शर्ट और सफेद पैन्ट में था वह। कंधे पर गमछा या कुछ और था। उसने लड़की को खींच कर उस लड़के को जोर से मारा। उसे बहुत पीटा। लड़की के मुँह से विरोध का एक स्वर तक नहीं निकला। वह लड़की का हाथ पकड़ कर ले जाने लगा और लड़की ने भी विरोध नहीं किया। बस जाते समय वह पीछे खेत में पड़े उस लड़के को देखती रही।
गर्मी के दिन थे। बिजली भी नहीं थी। मैं छत पर बैठा हुआ था। तभी मन में ख्याल आया कि उस लड़की से कुछ पूछा जाए। अगर उसका जवाब ध्यान में दिखे दृश्य से थोड़ा सा भी मेल खाएगा तो मैं उसे बता दूंगा जो कुछ मैंने देखा। मैंने उससे जो सवाल पूछे वह इस प्रकार थे-
पहाड़ से तुम्हारा कोई रिश्ता है?
तुम्हारा घर हिमाचल प्रदेश में है?
तुम्हारे घर से थोड़ी दूर कोई बॉंध है?
वह कोई बड़ा सा डैम है?
जिस लड़के से प्रेम करती थी वह क्या समृद्ध है?
उसके मुकाबले तुम्हारी आर्थिक स्थिति अभ्ाी काफ़ी कमज़ोर होगी।
वह मैदानी इलाके कहा है, जहां खेत ही खेत हैं मतलब वह जगह पंजाब है।
लड़की का जवाब इस प्रकार था (शब्दों का हेरफेर संभव है, लेकिन मजमून यही था)-
- जी हॉं। हम पहले हिमाचल प्रदेश में ही रहते थे। लेकिन काफ़ी साल पहले दूसरी जगह चले आए। हमारा घर है वहॉं, लेकिन कम ही जाना होता है।
- हां सर। भाखड़ा डैम है। हम नंगल में रहते थे।
- वह अच्छे घर से है। उसके पास काफ़ी ज़मीन और धन सम्पत्ति है। मेरी स्थिति जैसा आपने कहा, बिल्कुल सही है। वह पंजाब में रहता है।
उसने पू्छा- आप यह सब क्यों पूछ रहे हैं?
- बताता हूं। मैंने कहा- तुम्हारे सवालों के जवाब मिल गए हैं। अब तुम विश्वास करो या न करो। लेकिन मेरे हिसाब से यह सही जवाब है।
- मुझे विश्वास है सर। आपसे सही जवाब ही मिलेगा। आपने मेरे बारे में इतना तो बता दिया। पहले भी बहुत कुछ बताया है।
मैंने कहा- देखो... कहानी कुछ इस तरह है। यह तुम्हारा दूसरा जन्म है। पहले जन्म में तुम एक सम्पन्न शख्स के यहां जन्मी थी जिसके पास काफ़ी ज़मीन थी। समाज में उसका रसूख था। तुम्हारे यहॉं एक नौकर था जो घर और खेत में काम करता था। तुम उससे प्रेम करती थी। लेकिन तुम्हारे पिता को यह बात पसंद नहीं थी। उन्होंने उस लड़के को एक बार बहुत मारा पीटा और अधमरा कर खेत में छोड़ दिया। तुम उसके लिए खेत में खाना लेकर गई थी। उसी समय तुम्हारे पिताजी वहां आ गए थे। जब तुम्हारे पिता उसे बेरहमी से पीट रहे थे तब तुमने उसके लिए हमदर्दी का एक शब्द तक मुँह से नहीं निकाला। वह तुमसे कहता रहा कि एक बार तुम कहो तो कि तुम क्या चाहती हो। फिर भी तुमने कुछ नहीं कहा।
इसका मतलब यह कि उस समय तुम अपने परिवार के खि़लाफ़ नहीं गई और उस लड़के को तड़पता और बिलखता छोड़ गई। इस जन्म में उस लड़के का बदला पूरा हो गया। अब वह तुमसे बहुत ज्यादा सम्पन्न है और तुम्ासे शादी के लिए कोई प्रयास नहीं किया। पिछले जन्म में वह तुम्हारे लिए पागल था। इस जन्म में तुम उसके लिए। इसलिए हिसाब बराबर। अब तुम्हें उसका ख़्याल छोड़कर आगे बढ़ना चाहिए। उसने कहा- अब कोई चारा भी नहीं है। उसके अधिकांश जवाब संक्षिप्त होते हैं, लेकिन मुझे उसकी मनोदशा का पता तुरंत लग जाता है। जब ज्यादा नकारात्मकता का आभास होता है तो मैं उसे जवाब ही नहीं देता। जब उसके सभ्ाी सवालों के जवाब उसे मिल गए तो उसने बात करना भी बहुत कम कर दिया। लंबे अंतराल पर कभी-कभी किसी अवसर पर संक्षिप्त ई-मेल करती है।
सर ध्यान कैसे लगाया जाता है और उसके फायदे या नुकसान क्या हैं? मैं जानता हूँ गूगल पर भी जवाब होगा पर विश्वाशनीय जवाब चाहिए था।
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