मंगलवार, 26 अप्रैल 2016

क्‍या आत्‍मा की हीलिंग सम्‍भव है?

अभी मैं जिस घटना के बारे में जि़क्र करने जा रहा हूं, वह मेरे बाल सखा की अर्द्धांगिनी की है। इस ब्‍लॉग पर मैं यह सब इस लिए नहीं लिख रहा कि मैं प्रसिद्धि का भूखा हूं। मेरे पास ऐसे कई हुनर हैं जिनसे मैं आसानी से लोकप्रिय हो सकता हूं। मैं तो बस सत्‍य और जीवन के रहस्‍यों को समझने में लगा हुआ हूं जो मुझे शांति देती है। मेरी तलाश यही शांति है जिसे मैं काफ़ी हद तक प्राप्‍त कर चुका हूं। 
मुझे इस बाल सखा का नाम लेने में कोई संकोच नहीं है, क्‍योंकि वह मेरे हृदय के बहुत क़रीब है। लगभग एक साल पहले मुझे अरविंद ने बताया कि उसकी पत्‍नी को कैंसर हो चुका है और गुड़गांव (अब गुरुग्राम) के एक बड़े अस्‍पताल में एक साल से इलाज चल रहा है। यह दुर्भाग्‍य ही है कि मैं उसकी पत्‍नी को एकबार भी नहीं देख सका। लगभग पाँच-छह माह पहले की बात है। एक दिन उसने मुझे फोन किया। पूछा- तुम्‍हारा घर कहॉं है? मुझे लगता है कि तुम्‍हारे घर के आसपास ही हूं। मैंने पता बता दिया तो वह आ भी गया। घर आकर उसने बताया कि वह अब आयुर्वेद और होम्‍योपैथ डॉक्‍टर से पत्‍नी की बीमारी का इलाज करा रहा है। बड़े अस्‍पताल के डॉक्‍टर जवाब दे चुके थे। बातों-बातों में उसने हीलिंग के बारे में पूछा। मेरा ब्‍लॉग पढ़कर ही उसे पता चला कि मैं हीलिंग करता हूं। उसने एक मासूम सवाल किया.. क्‍या यह देख कर बता सकते हो कि मेरी पत्‍नी कैसी है?  मैंने एक पल के लिए ध्‍यान लगाया और बता दिया कि वह कैसी हैं और आने वाले समय में उनके स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार दिखेगा। अस्‍तु, ऐसा ही हुआ। मुझे तब बहुत ख़ुशी हुई थी। अचानक तीन-चार महीने पहले उन्‍हें फिर से अस्‍पताल में भर्ती कराना पड़ा। उसने मुझे हीलिंग के लिए कहा। मैं यथा संभव उनकी हीलिंग करता रहा। इसी तरह एक दिन हीलिंग के दौरान मैंने पाया कि उनके शरीर में कैंसर का फैलाव फेफड़े तक होने को है। अरविंद से पूछा तो उसने भी यही कहा कि डॉक्‍टर का भी यही कहना है। उपाय क्‍या है फिर? मैंने कहा कि मैं कुछ बैक्‍टीरिया शरीर में डालता हूं जो कैंसर वाले बैक्‍टीरिया को मार देगा। उसकी इज़ाज़त मिलने के बाद मैंने इस प्रक्रिया पर काम शुरू कर दिया। लेकिन हीलिंग के दौरान यह सीधे पेट वाले हिस्‍से से नहीं जाकर सिर से पूरे शरीर में जाने लगा। तब मैं चकरा गया... ऐसा क्‍यों हो रहा है? मैंने अरविंद को बताया तो उसने कहा, Spine से यह दिमाग तक पहुंच गया है। मैंने दो-तीन दिन तक इसका असर देखा। पर कोई ख़ास फ़र्क पड़ता नहीं दिखा। मैंने पाया कि उन्‍हें हीलिंग से फायदा नहीं हो रहा है। पता नहीं क्‍यों मेरा भी मन हीलिंग करने को नहीं होता था। शायद पहले वाली घटना से आशंकित था। इसके बाद अरविंद जब मुझसे हीलिंग के लिए कहता तभी मैं करता था। एक दिन मैंने उससे कहा कि हीलिंग से कोई फायदा नहीं होगा। भाभी की soul healing करके देखता हूं। उस हीलिंग के दौरान मैंने जो अनुभव किया उसे अरविंद को अवगत कराया। उसने कहा कि मेरा अनुभव यथार्थ के बिल्‍कुल करीब है। वस्‍तुत: मैंने पाया कि अरविंद की पत्‍नी की आत्‍मा एक बच्‍चे की तरह व्‍यवहार करती है। इसका मतलब यह कि उस आत्‍मा की यह पहली यात्रा ही थी। इस आधार पर मैंने जो बातें कही, वह सही थी। जैसे उनका व्‍यवहार, बात करने का तरीका, व्‍यक्तित्‍व आदि-इत्‍यादि। मैंने कहा, उनकी आत्‍मा की हीलिंग कर के देखता हूं। लेकिन इसके दो परिणाम होंगे- पहला यह कि वह बिल्‍कुल स्‍वस्‍थ हो सकती हैं। दूसरा, उनकी स्थिति बिगड़ सकती है! (जो शरीर त्‍यागने की दिशा में कदम होगा) कोष्‍ठक वाली बात मैंने उसे नहीं बताई। उसने कहा, जो कर सकते हो करो। मुझे तुम पर पूरा भरोसा है। मैंने soul healing की तो एक-दो दिन बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई। इसके बाद बिगड़ती ही चली गई। इसके बाद मैं अपने काम में व्‍यस्‍त हो गया। कुछ दिन पहले से उसकी लगातार बहुत याद आ रही थी, लेकिन मैं उसे फोन नहीं कर पा रहा था। करीब 15 दिन पहले उसका मैसेज आया। तब मैंने पूछा- तुम्‍हारी बहुत याद आ रही थी। सब ठीक है न। इसके बाद जो जवाब आया, वह एक बड़ा सन्‍नाटा छोड़ गया। भाभी का देहान्त 15-20 दिन पहले हो चुका था।
इस घटना ने एक और सवाल मेरी तरफ़ उछाल दिया। क्‍या soul healing हीलिंग से जीव को शरीर के बन्‍धन से मुक्‍त किया जा सकता है? क्‍या उसे इस बात के लिए प्रेरित किया जा सकता है कि जब आगे जीवन दिखता ही नहीं तो शरीर को कष्‍ट क्‍यों देना? कर्म और फल का खेल ख़त्‍म करो। किसी की soul healing से एक बात का पता तो चल ही जाता है कि उसका स्‍वभाव कैसा है। कई मामलों में मैंने पाया कि इनसान दोहरा जीवन व्‍यतीत कर रहा है। उसका व्‍यक्तित्‍व कुछ और होता है, जबकि आत्‍मा चाहती कुछ और है। ऐसे लोगों में मैंने डिप्रेशन भी पाया। मेरे इर्द-गिर्द ऐसे कई लोग हैं, जिन्‍होंने अपनी ख़ूबियों के बारे में नहीं बताया, लेकिन soul healing और उससे बात करके मैं उनकी वास्‍तविकता के विषय में जान गया। ऐसे कई लोग हैं जिनके विषय में मुझे मालूम है कि उनका लक्ष्‍य क्‍या है। उन्‍हें बताया भी, फिर भी वह जड़ की तरह वहीं जमे हुए हैं। शायद सही वक्‍़त अभी नहीं आया।
बहरहाल, अरविंद के जीवन में एक बड़ा शून्‍य आ गया है, लेकिन मुझे विश्‍वास है कि वह इससे सही तरीके से निपट लेगा। वह बहुत ही Positive इनसान है।
अन्‍त में दिवंगत की आत्‍मा का नया सफ़र आसान हो, यही कामना है। उसे उसका लक्ष्‍य मिले ताकि उसे इस जन्‍म और मरण के बन्‍धन से मुक्ति मिल जाए।


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