वृन्दावन आने के बाद श्रीकृष्ण ने इन्द्रयाग का उत्सव बंद करा दिया था। इसमें इन्द्र की पूजा की जाती थी। इसकी जगह उन्होंने गोवर्धन पूजा शुरू कराई। इससे खिसियाकर इन्द्र ने जबरदस्त मूसलाधार बारिश कराई। इससे वृन्दावन के लोग घबरा गए। तब इन्द्र का घमण्ड तोड़ने के लिए श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और लोगों को उसके नीचे आश्रय दिया। आखि़र में थक हार कर इन्द्र ने श्रीकृष्ण के आगे समर्पण किया और अभयदान मांगते हुए श्रीकृष्ण को 'गोविन्द' की उपाधि दी। साथ ही, अपने बेटे अर्जुन को भी श्रीकृष्ण के सुपुर्द किया। श्रीकृष्ण इससे संतुष्ट हुए और उन्होंने दोबारा इन्द्रयाग उत्सव शुरू कराया।
शनिवार, 15 अक्टूबर 2016
श्रीकृष्ण को 'गोविन्द' की पदवी ऐसे मिली
वृन्दावन आने के बाद श्रीकृष्ण ने इन्द्रयाग का उत्सव बंद करा दिया था। इसमें इन्द्र की पूजा की जाती थी। इसकी जगह उन्होंने गोवर्धन पूजा शुरू कराई। इससे खिसियाकर इन्द्र ने जबरदस्त मूसलाधार बारिश कराई। इससे वृन्दावन के लोग घबरा गए। तब इन्द्र का घमण्ड तोड़ने के लिए श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और लोगों को उसके नीचे आश्रय दिया। आखि़र में थक हार कर इन्द्र ने श्रीकृष्ण के आगे समर्पण किया और अभयदान मांगते हुए श्रीकृष्ण को 'गोविन्द' की उपाधि दी। साथ ही, अपने बेटे अर्जुन को भी श्रीकृष्ण के सुपुर्द किया। श्रीकृष्ण इससे संतुष्ट हुए और उन्होंने दोबारा इन्द्रयाग उत्सव शुरू कराया।
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