शुक्रवार, 12 जून 2015

हीलिंग से भी चमत्‍कार होते हैं!

कुछ दिन पहले की बात है। रात के 11:38 बज रहे थे। मैं दिल्‍ली में अपने कमरे पर खाना बनाने की तैयारी में था। रसोई में था तभी अहसास हुआ जैसे किसी ने मुझे याद किया। यह सोच कर कि किसी का ज़रूरी मैसेज तो नहीं आया, मैं फोन लेने दूसरे कमरे में आया। फोन उठाया तो पता चला कि पंचकूला (चंडीगढ़) से मेरी एक प्रोफेसर मित्र मैसेज कर रही थी। whatsapp पर उसका मैसेज देखा तो दिमाग सन्‍न रह गया। उसके पिता को दिल का गंभीर दौरा पड़ा था और वे एक पांच सितारा अस्‍पताल में भर्ती थे। वह बेहद घबराई हुई थी। मैंने मैसेज पढ़ते ही उसे फोन किया, लेकिन उसने फोन काट दिया। मुझे कुछ समझ नहीं अा रहा था कि उसकी मदद कैसे करूं? सिर्फ़ यही लिख सका कि आ जाऊं? लेकिन उसने यह कहकर मना कर दिया कि मेरी दुआओं की ज़रूरत है। कृपया मेरे पापा की सलामती के लिए दुआ कीजिए। समझ नहीं पा रहा था कि उसे सांत्‍वना दूं भी तो कैसे, क्‍योंकि डॉक्‍टरों ने उन्‍हें बुरी तरह डरा दिया था। उसने जो बताया उसके मुताबिक, डॉक्‍टरों का कहना था कि पिताजी के फेफड़े में पानी है। गंभीर दिल का दौरा पड़ा है। एंजियाेग्राफी के बाद अगले दिन मरीज की बाइपास सर्जरी करेंगे। कहने का मतलब यह कि डॉक्‍टरों ने परिजनों को डराने की कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
लिहाजा मैंने उससे कहा- थोड़ी देर अकेला छोड़ दो।
मैंने ध्‍यान लगाने की कोशिश की, लेकिन चित्‍त अशांत था। मैं उससे whatsapp पर बात करने लगा। जानने की कोशिश की कि यह सब कैसे, कब और कहां हुआ? दो-तीन मिनट बातचीत करने के दौरान ही मैं उसके पिता से संपर्क बनाने में सफल हो गया। एकबारगी उनकी हालत देखकर तो मैं घबरा गया। वह लगातार पूछ रही थी कि पापा ठीक तो हो जाएंगे न? आप सच बताइए बाबा (मेरे सहयोगी और मित्र इसी नाम से बुलाते हैं)। मैं उससे झूठ नहीं बोल सकता था इसलिए मैं उससे दूसरे सवाल पूछता रहा। मैंने मरीज को देखा तो उनकी स्थिति काफी गंभीर लगी। उनके दोनों पैरों में सूजन थी। लेकिन दाहिना पैर ज्‍यादा सूजा हुआ था। उनका पेट भी फूला हुआ दिखा। मैंने उससे कुछ सवाल पूछे जो इस प्रकार थे-
- पापा का दाहिना पैर सूजा हुआ है?
- गैस्ट्रिक की समस्‍या है?
- सांस संबंधी समस्‍या है?
उसने इन सब बातों का जवाब हां में दिया। मैंने मरीज का एकबार फिर बॉडी स्‍कैन किया, लेकिन मुझे फेफड़े में इन्‍फेक्‍शन कहीं नज़र नहीं आया। हां, उनकी ब्रीदिंग बहुत कम थी। शरीर को ऑक्‍सीजन कम मिल रही थी और सबसे बड़ी वजह जो मुझे दिखी वह थी गैस्ट्रिक। इसी के कारण वह सबसे ज्‍यादा परेशान थे। सखी ने कहा कि पापा सीसीयू में हैं और हो सकता है कि उन्‍हें ऑक्‍सीजन मास्‍क लगाया गया हो। मैंने कहा कि उनकी छाती में जकड़न तो है, लेकिन फेफड़े में पानी होने की बात कुछ हज़म नहीं हो रही है। मैंने सबसे पहले उनके पेट की हीलिंग की। इसके बाद सांस सामान्‍य करने के लिए हीलिंग दी। जब मैं आश्‍वस्‍त हो गया कि अब वे सामान्‍य हो जाएंगे तब मैंने उससे कहा कि पापा ठीक हो जाएंगे। मेरा इतना कहने पर वह सामान्‍य हुई। मुझ पर इतना विश्‍वास ! (इस विश्‍वास के लिए धन्‍यवाद)। इसके बाद उसने बताया कि पिताजी की हालत सुबह ही बिगड़ी थी और वे लोग उसी समय से भागदौड़ कर रहे थे। दो-तीन डॉक्‍टरों को दिखाने के बाद आखि़र में शहर के एक पांच सितारा अस्‍पताल गए। उन्‍हें भर्ती करने के बाद मुझे इसकी जानकारी दी गई।
दूसरे दिन अस्‍पताल में उसने पिताजी से मेरे द्वारा पूछे गए सवाल दोहराए तो उन्‍होंने कहा कि 101 फीसदी सच बताया। बाद में उसने बताया कि डॉक्‍टर अगले यानी तीसरे दिन सुबह को बाइपास सर्जरी करने की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि मैंने उसके पिताजी को कभी नहीं देखा, लेकिन हीलिंग के दौरान पता चला कि वे बेहद कमज़ोर हैं। इसलिए मैं क़तई इस सर्जरी के लिए तैयार नहीं था। लेकिन मैं कोई ख़तरा भी मोल नहीं लेना चाहता था। लिहाजा मैंने उनके हृदय के अंदरूनी हिस्‍सों को देखने की कोशिश की तो पाया कि हृदय तक रक्‍त पहुंचाने वाली मुख्‍य नस बंद थी। जैसे पानी की पाइप में काई जम जाती है उसी तरह मुझे वह एक तरह से बंद दिखी। मैंने उसे साफ करने के बाद उससे कहा कि जो वेन बंद थी उसे खोल दिया है। मुझे इसका पूरा आभास हो गया था कि डॉक्‍टर अगले दिन ज़रूर चकरा जाएंगे। इसके अलावा मैंने एक काम और किया था जिसके बारे में उसे बताया नहीं। वह ये था कि डॉक्‍टर बिना किसी झमेले के मरीज को डिस्‍चार्ज कर दें और उन्‍हें घर जाने दें।

तीसरे दिन शाम चार बजे के बाद मित्र का मैसेज मिला कि पिताजी को घर ले जा रहे हैं। लेकिन उस समय मैं किसी मित्र के घर था। घर रात नौ बजे के बाद पहुंचा तब उसे मैसेज किया। तब तक डिस्‍चार्ज की प्रक्रिया चल ही रही थी। वह व्‍यस्‍त थी। रात को बात हुई तो उसने मुझसे जो कहा, सुनकर मुझे बहुत खुशी हुई। उसने कहा कि डॉक्‍टर का कहना था कि सुबह जब मरीज की जांच की तो हृदय की मुख्‍य रक्‍तवाहिनी नली जो पहले बंद थी, वह खुली हुई थी। मैं नहीं जानता यह चमत्‍कार कैसे हुआ !
मैं आश्‍वस्‍त था कि डॉक्‍टर ऐसा ही कुछ कहेगा। इसके बाद मैंने पूछा- एक डॉक्‍टर ने क्‍या तुम्‍हारी मदद की? तुम्‍हारा काम आसानी से हो गया?
उसने कहा- हां
तब मैंने कहा कि रात को मैंने अस्‍पताल के सभी डॉक्‍टर और कर्मचारियों को साफ-साफ ताक़ीद की थी कि मरीज़ को डिस्‍चार्ज करने में कोई दिक्‍कत नहीं आनी चाहिए। मैंने कहा- नर्स, वार्ड ब्‍यॉय और अन्‍य को मिलाकर कुल सात लोग होंगे। इसके अलावा वह डॉक्‍टर होना चाहिए। सखी ने कहा कि इतने ही लोग थे। यानी मैंने जैसा चाहा, वैसा ही हुआ।

फिलहाल उसके पिताजी घर पर हैं और मैं उनके सभी ब्‍लॉक्‍ड आर्टरीज को खोल चुका हूं। बस इंतज़ार कर रहा हूं कि डॉक्‍टर उन्‍हें देखे और अपनी रिपोर्ट दे। अगर मैं इसमें सफल हो गया तो बहुत से लोगों की मदद कर सकूंगा जो  महंगे इलाज का बोझ नहीं उठा सकते। अब तक मैंने देश-विदेश के बहुत से लोगों की हीलिंग की। इनमें अधिकतर डिप्रेशन, अनिद्रा, जोड़ों का दर्द, अस्‍थमा,  माइग्रेन और थायरायड के मरीज थे। एक बार हीलिंग कराने के बाद इनमें से कोई भी दोबारा उसी बीमारी को लेकर नहीं आया। इनमें से कुछ लोग अब भी मेरे सम्‍पर्क में हैं, जिन्‍हें ऐसी शिकायत नहीं। बाकियों के बारे में कुछ नहीं कह सकता कि वे लोग कैसे हैं। यह केस मेरे लिए बहुत मायने रखता है, क्‍योंकि एक डॉक्‍टर ने साबित किया कि मरीज काे फायदा हुआ। इन दिनों बहुत से डॉक्‍टर इस वैकल्पिक चिकित्‍सा पद्धति का प्रयोग कर रहे हैं। फिर भी मैं क़तई यह दावा नहीं करता कि हीलिंग स्‍थायी फायदा पहुंचाती है, क्‍योंकि शरीर के अपने कुछ नियम हैं जिनका पालन नहीं किया जाए तो वह बीमारी दोबारा आ जाती है। हीलिंग कुछ समय के लिए ही कारगर साबित हो सकता है। इसलिए मैं हीलिंग चाहने वालों को सलाह देता हूं कि मेरे बताए सुझावों पर अमले करें अन्‍यथा उन्‍हें कोई फायदा नहीं होगा।





चित्र-1. जिस जगह उंगली रखी हुई है यही वह बंद आर्टरी है। जिसके बारे में सखी बता रही है।
चित्र-2. डॉक्‍टरों के मुताबिक उनके हृदय की स्थिति यह है जो मेरी हीलिंग के बाद कुछ अलग होनी चाहिए। 

नोट: इस पूरे आलेख में मैंने अपनी मित्र का नाम नहीं लिखा है। इसकी वजह यह है कि मैंने यह सब लिखने से पहले उनकी इज़ाजत नहीं ली। इसलिए उनका नाम लिखना उचित नहीं है। 

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